Saturday, April 27, 2024

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हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुआ दिल्ली सेवा बिल , विपक्ष बोला - संविधान कमजोर कर रही मोदी सरकार

अंग्वाल न्यूज डेस्क
हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुआ दिल्ली सेवा बिल , विपक्ष बोला - संविधान कमजोर कर रही मोदी सरकार

नई दिल्ली । लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने दिल्ली में अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग से जुड़ा दिल्ली सेवा बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किया । केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने गृहमंत्री अमित  शाह की ओर से सदन में बिल पेश किया । हालांकि इस बिल को सदन में पेश करते ही विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया । इस दौरान विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर संविधान को कमजोर करने के आरोप लगाए । सदन में भारी हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। 

बिल पर क्या बोले अमित शाह

दिल्ली सेवा बिल को सदन में पेश करने को लेकर लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्षी दलों का यह विरोध राजनैतिक है । इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है । इस आधार पर इस बिल को पेश करने की अनुमति दी जाए । अमित शाह ने आगे कहा कि इस सदन को कानून बनाने का अधिकार है । दूसरा सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ही कहा गया कि अगर केंद्र सरकार को लगता है तो वो कानून बना सकती है । 

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोप 

विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार संविधान को कमजोर कर रही है । अधीर रंजन ने यह भी कहा कि ये दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करने का प्रयास है । उन्होंने कहा कि बिल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है । वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिल का विरोध किया और कहा कि इस बिल को पेश किया जाए या नहीं किया जाए इस पर वोट करवाया जाए । ओवैसी ने इस दौरान विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अभी तक बिना प्रधानमंत्री के आए सदन नहीं चलने की बात कर रहे थे लेकिन अब सदन चलाने को तैयार हो गए हैं । 


आप ने भी जमकर किया विरोध

इस सबसे इतर, दिल्ली की सत्तारूढ़ आप भी इस बिल के विरोध में उतर आई है। इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी इस बिल को लेकर विपक्षी दलों से समर्थन भी मांग चुकी है । कांग्रेस, जेडीयू समेत कई दल बिल के विरोध का ऐलान कर चुके हैं । केंद्र सरकार ने पहले इसी मुद्दे पर अध्यादेश जारी किया था, जिसके खिलाफ आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट भी गई. मामला पांच जजों की संविधान पीठ के पास है । 

 

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